फर्स्ट एसी में क्या ख़ास होता हैं – What is first ac in Train? फर्स्ट एसी या प्रथम वातानुकूल रेलवे में सर्वोच्च क्लास होता हैं। बहुत बार तो इसकी टिकट फ्लाइट रेट से भी अधिक होती हैं लेकिन जो सुविधा आपको इस क्लास में मिलती हैं वो शब्दों से परे हैं. आइये जानते हैं क्या ख़ास हैं इसमें.
बैठने की व्यवस्था – फर्स्ट एसी में दो तरह की बैठने की व्यवस्था होती हैं जिसमे एक हैं केबिन दूसरा हैं कूप! केबिन में चार और कूप में दो व्यक्तियों की बैठने की व्यवस्था होती हैं। कूप दम्पतियों के लिए एक बेहतर विकल्प हैं!
सुविधाएं – अगर आप रेल सफर के दौरान कम भीड़भाड़ वाली यात्रा का आनंद उठाना चाहते हैं तो प्रथम वातानुकूल क्लास आपके लिए उपयुक्त क्लास हैं।
यहाँ आपको एक छोटी सी गैलरी भी मिलती हैं जहाँ आप घूम सकते है।
कोच के अंदर ही नहाने के लिए शावर की भी व्यवस्था हैं। फर्स्ट एसी में टॉयलेट ज्यादार अन्य क्लासेज से साफ़ होते हैं क्योकि इसमें यात्रियों की संख्या सिर्फ 26 तक ही होती है!
हर केबिन में एक बटन होता हैं जिसका इस्तेमाल करके आप रेलवे कर्मचारी को बुला सकते है।
आपकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक केबिन और कूप में स्लाइडिंग दरवाज़े होते हैं जिसे आप लॉक रख सकते हैं
बर्थ कैसे दिया जाता हैं – दूसरे क्लासेज से अलग फर्स्ट एसी में कन्फर्म टिकट होने के बावजूद केबिन या सीट नंबर उस वक़्त नहीं दी जाती। प्रस्थान से 5 – 6 घंटे पहले आपको एसएमएस के द्वारा केबिन या कूप अलॉट किया जाता हैं
फर्स्ट एसी के बर्थ आकार में द्वितीय और तृतीय श्रेणी से बड़े होते हैं। आप रिजर्वेशन के वक़्त अपनी पसंद के केबिन या कूप चुन सकते हैं परन्तु इसके मिलने की कोई गारंटी नहीं होती हैं। बर्थ का आवंटन कंप्यूटर द्वारा किया जाता है
बर्थ के चयन में हमेशा वी आई पी को प्राथमिकता दी जाती है, उसके बाद वरिष्ठ नागरिक और उसके बाद साधारण जनता। अगर आपने कूप का चयन किया हैं और वो पहली बार में आपको मिल जाती हैं तो आप किस्मत के धनी माने जायेंगे
मैंने यह भी सुना हैं की यात्रा के दिन यदि कोई यात्री अपने बोर्डिंग स्टेशन पर जाकर स्टेशन मास्टर से अनुरोध करता हैं तो पसंदीदा सीट मिलने का चांस बढ़ जाता हैं लेकिन इसके बारे में में निश्चित नहीं हूँ
भोजन – आपको राजधानी एक्सप्रेस के फर्स्ट एसी ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर मिलता हैं क्योंकि भोजन की कीमत पहले से ही टिकट के साथ शामिल होती है, लेकिन अन्य ट्रेनों में यात्रियों को इसे रेल पेंट्री कार से खरीदना पड़ता है।
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